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भातीय सेना में नारी शक्ति की अमाह भूमिका

आजकल पूरे देश भर में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जा रही है। तो इस विशेष मौके पर जानते है भारत की उन शाहशी महिला अफशरो की बारे में जिन्होंने देश की शक्ति न ही सामरिक सकती को न केवल मजबूत किया है बल्कि भारत की हर एक महिला और नारी के लिए एक आदर्श बन का काम किया है जो बस घरों तक ही सिमित थी उनको जमीं से लेकर आसमान और पर्वतो तक का रास्ता दिखाया है।
हमारे भारतीय सेना में ये नारी शक्ति अपनी भूमिका अलग-अलग रूप में भारतीय सेना में अपना योगदान देकर शक्ति के प्रतीक के रूप में न ही देश की सेवा कर है बल्कि रूढ़िवादी विचार धारा की लोगों की सोच के भी बदल कर रख दिया है। भारत में नारी को शक्ति स्वरूपा माना जाता है ये नारी अब बस अपने घरों तक ही सिमट कर नई रह गई है और न ही ये केवल एक बेटी, बहन, पत्नी और माँ की भूमिका निभा रही बल्कि भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

आइये जानते है इन नारी शक्ति के बारे में विस्तार से

1 आरती सरीन : भारत की महानिदेशक सशस्त्र सेना मेडिकल सर्विस में पहली महिला

हाल ही में सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन ने देश की तीनों सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा (डीजीएएफएमएस) की पहली महिला महानिदेशक बनकर इतिहास रच डाला है. 46वें डीजीएएफएमएस के रूप में उनकी नियुक्ति सशस्त्र बलों के मेडिकल विंग में उनके शानदार 38 साल के योगदान में एक और शानदार उपलब्धि जुड़ गयी है. इसके साथ ही सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन ने रक्षा के क्षेत्र में इतिहास रच कर देशभर की बेटियों और महिलाओं का मान बढ़ाया है, साथ ही उन्हें प्रेरित भी कर रही ।

इससे पहले उन्होंने महानिदेशक चिकित्सा सेवा (नौसेना) और महानिदेशक चिकित्सा सेवा (वायु) के रूप में  एयर मार्शल के पद पर कार्य किया है। वह भारतीय सशस्त्र बलों में तीन सितारा रैंक पर पदोन्नत होने वाली छठी महिला हैं । वह सर्जन वाइस एडमिरल पुनीता अरोड़ा और सर्जन वाइस एडमिरल शीला एस मथाई के बाद भारतीय नौसेना में वाइस एडमिरल का पद संभालने वाली तीसरी महिला अधिकारी हैं।

आरती सरीन ने विशाखापत्तनम के टिम्पनी स्कूल में पढ़ाई की। इसके बाद वह पुणे के सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय में शामिल हो गईं। AFMC में , उन्होंने अपनी MBBS की डिग्री पूरी की। इसके बाद उन्होंने 1992 में AFMC से रेडियोलॉजी में डॉक्टर ऑफ मेडिसिन की डिग्री हासिल करते हुए पोस्ट-ग्रेजुएशन किया । इसके बाद उन्होंने टाटा मेमोरियल सेंटर , मुंबई से रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में DNB की डिग्री हासिल की और पेंसिल्वेनिया के पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में गामा नाइफ सर्जरी में प्रशिक्षण प्राप्त किया ।

आरती सरीन को 26 दिसंबर 1985 को सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा में कमीशन मिला था। उनका शानदार करियर तीनों सेवाओं – भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना में फैला हुआ है।

इनका जन्म एक नौसैनिक परिवार में हुआ था, उनके पिता एक नौसेना अधिकारी थे जिन्होंने 41 साल तक सेवा की, उनके भाई राजेश ने भी 30 साल तक नौसेना में सेवा की। एक पनडुब्बी चालक , राजेश एक कमोडोर के रूप में सेवानिवृत्त हुए, उन्होंने तीन पनडुब्बियों और एक फ्रिगेट की कमान संभालने के अलावा कमोडोर कमांडिंग सबमरीन (पूर्व) के रूप में भी काम किया । उनकी भाभी भी नौसेना में डॉक्टर थीं।

2 सोफिया क़ुरैशी : लेफ्टिनेंट कर्नल सेना टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला

वह 40 सदस्यीय भारतीय दल का नेतृत्व कर रही हैं, जो शांति अभियानों (पीकेओ) और मानवतावादी माइन एक्शन (एचएमए) में अन्य सैनिकों के साथ प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

"एक सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में बहुराष्ट्रीय सेनाओं के साथ काम करना एक शानदार अनुभव था, और जब यह महिलाओं और बच्चों को हिंसा से बचाने की बात आती है तो यह संतुष्टिदायक होता है"

सोफिया क़ुरैशी उनके पास जैव-रसायन विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री है सोफिया क़ुरैशी हमारे बिच की ही एक बेटी है जो भारत के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करते हुए देश की सेवा में अपना योगदान दे रही है। वह भारतीय सेना की एक अधिकारी हैं, जो लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर हैं। वह सिग्नल कोर में कार्यरत हैं। काफी कम उम्र में उन्होंने नारी जाति और भारतीय सेना के लिए समान रूप से इतिहास रचा है। मार्च 2016 में, वह किसी बहु-राष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। एक्सरसाइज फोर्स 18 नाम का यह अभ्यास/युद्ध खेल, भारत द्वारा आयोजित अब तक का सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास है। इस अभ्यास में आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ) के सदस्यों ने हिस्सा लिया, जिसमें भारत, जापान, चीन, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, कोरिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया शामिल थे। इस अभ्यास में 18 टुकड़ियों ने हिस्सा लिया, जिनमें से लेफ्टिनेंट कर्नल क़ुरैशी एक टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली एकमात्र महिला अधिकारी थीं।

3 तानिया शेरगिल : 2020 में गणतंत्र दिवस पर भारतीय सेना में सेना दिवस समारोह में पुरुषों की परेड की अगुआई का नेतृत्व करने वाली पहली भारतीय महिला

कैप्टन तानिया शेरगिल अपने मजबूत इरादों के दम पर 72वें सेना दिवस पर पुरुषों की परेड की अगुआई करके पूरे देश और अपने राज्य का मान बढ़ा चुकी हैं. इसके साथ ही वह अपनी इस उपलब्धि से ऐसा करने वाली देश की पहली महिला बनने का गौरव भी हासिल किया. इसके अलावा 26 जनबरी की परेड में भी इंडिया गेट’ पर तानिया सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व कर चुकी हैं. तानिया शेरगिल मूल रूप से होशियारपुर जिले के कस्बा गढ़दीवाला के गांव पंडोरी अटवाल की रहने वाली हैं. तानिया का जन्म दिल्ली में हुआ और पढ़ाई मुंबई में हुई. इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेंशन में बीटेक तानिया शेरगिल साल 2016 में सेना में शामिल हुईं. चेन्नई की ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी से साल 2017 में कमीशन मिला और लेफ्टिनेंट बनीं. तानिया के परदादा ईश्वर सिंह ने आजादी से पहले सेना में सेवाएं दी थीं. वह सिख रेजिमेंट में तैनात थे. वहीं, दादा हरी सिंह वर्ष 1945-46 में सेना में भर्ती हुए. वह 14वीं सशस्त्र रेजिमेंट (सिंडी होर्स) में थे, जबकि पिता सूरत सिंह भी साल 1982 में सेना में गये और दिसंबर 2016 में सेवानिवृत्त हुए. वह सेना की 101 मीडियम रेजिमेंट (तोपखाना) में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. सेवानिवृत्ति के बाद से वे गढ़दीवाला के चौहका रोड स्थित घर में रहते हैं.

4 कैप्टन शिवा चौहान सियाचिन में तैनात होने वालीं पहली महिला अधिकारी

रूढ़िवादिता को तोड़ने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, कैप्टन शिवा चौहान ने सियाचिन ग्लेशियर के जोखिम भरे इलाके में तैनात होने वाली पहली महिला बनकर सैन्य इतिहास के इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है।कैप्टन शिवा चौहान हमरी ही तरह एक साधारण परिवार से आती हैं, जिनकी जड़ें भारत के दिल में गहराई से समाई हुई हैं। छोटी उम्र से ही, उनमें अपने देश की सेवा करने का गहरा जुनून था और उन्होंने सशस्त्र बलों में अपना करियर बनाने की कल्पना की थी। दृढ़ निश्चय और दृढ़ता के साथ, उन्होंने इस महान लक्ष्य की ओर अपनी यात्रा शुरू की।

कैप्टन शिवा सियाचिन में तैनात होने वाली पहली महिला अफसर बनीं. सेना की फायर एंड फ्यूरी कॉप्स की सदस्य शिवा को जनवरी 2023 में कुमार पोस्ट पर पोस्टिंग मिली. सियाचिन बैटल स्कूल में शिवा की कड़ी ट्रेनिंग हुई. ट्रेनिंग के दौरान कई-कई घंटे बर्फ की दीवार पर चढ़ना, लैंड स्लाइड होने पर खुद का व अपने साथियों का बचाव करना सिखाया जाता है. राजस्थान के उदयपुर की रहने वाली शिवा ने एनओइटी उदयपुर से बीटेक करने के बाद आर्मी में आने का फैसला लिया. 11 साल की उम्र में पिता को खो चुकीं शिवा को उनकी मां ने इस मुकाम तक पहुंचाया. मई 2021 में वह सेना की इंजीनियर रेजिमेंट में शामिल हुई.

सियाचिन में जीवन में कई कठिन चुनौतियाँ थीं, जिनमें चरम मौसम की स्थिति, दुर्गम इलाका और हिमस्खलन तथा शत्रुतापूर्ण शत्रुओं के खतरे के बीच निरंतर सतर्कता शामिल थी। कठिन परिस्थितियों के बावजूद, कैप्टन चौहान अपने मिशन के प्रति समर्पण में दृढ़ रहीं।

5 कैप्टन फातिमा वसीम : सियाचिन के ऑपरेशन पोस्ट पर तैनात पहली मेडिकल ऑफिसर

सियाचिन सालभर बर्फ से ढंका रहता है। यहां औसत तापमान जीरो से भी कम -10 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है। सर्दियों में यहां का तापमान -50 से 70 डिग्री सेंटीग्रेड हो जाता है।

कैप्टन फातिमा वसीम भारतीय सेना में पहली महिला चिकित्सा अधिकारी के रूप में अपना नाम इतिहास में दर्ज करा चुकी है, जिन्हें 11 दिसंबर 2023 को सियाचिन ग्लेशियर में एक ऑपरेशनल पोस्ट पर तैनात किया गया. कैप्टन फातिमा ने सियाचिन बैटल स्कूल में ट्रेनिंग ली. उनको 15,200 फीट की ऊंचाई पर एक चौकी पर नियुक्त किया गया, जो उनकी अदम्य भावना और उच्च प्रेरणा को दर्शाता है. फातिमा का यह मुकाम हासिल करना आसान नहीं है. सियाचिन ग्लेशियर में रहना बहुत मुश्किल है.

6 साधना सक्सेना : देश की पहली महिला डीजी चिकित्सा सेवा ऑफिसर

इसके पहले भी उनके नाम कई क्षेत्रों में पहली महिला होने का रिकॉर्ड दर्ज है. उनके परिवार की तीन पीढ़ियां भारतीय वायुसेना से जुड़ी हुई हैं, जो पिछले सात दशकों से सेना में अपनी सेवा दे रहे हैं. दिसंबर 1985 में उनको सेना चिकित्सा कोर में कमीशन मिला. सांधना को राष्ट्रपति द्वारा विशिष्ट सेवा पदक से नवाजा जा चुका है.

लेफ्टिनेंट जनरल साधना सक्सेना नायर वीएसएम भारतीय सेना में सेवारत जनरल ऑफिसर हैं । वह वर्तमान में महानिदेशक चिकित्सा सेवा (सेना) के रूप में कार्यरत हैं, इस पद पर नियुक्त होने वाली वह पहली महिला हैं। वह भारतीय सशस्त्र बलों में तीन सितारा रैंक पर पदोन्नत होने वाली सातवीं महिला अधिकारी हैं । इससे पहले, वह एयर मार्शल के पद पर महानिदेशक अस्पताल सेवा (सशस्त्र बल) का पद संभालने वाली भी पहली महिला थीं ।

7 राधिका सेन : संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड पहली महिला ऑफिसर

अंतरराष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक दिवस पर मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड 2023 पाकर मेजर राधिका सेन पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन कर चुकी हैं. राधिका सेन का जन्म साल 1993 में हिमाचल प्रदेश के मंडी में हुआ था. बायोटेक इंजीनियर की डिग्री लेने के बाद उन्होंने आइआइटी मुंबईसे एमटेक की डिग्री हासिल की. एमटेक की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने जॉब करने की बजाय आर्मी में जाने का फैसला कर लिया.

8 सुप्रीता सीटी : आर्मी एयर डिफेंस कोर की पहली महिला ऑफिसर

कैप्टन सुप्रीता सीटी सियाचिन में ऑपरेशनल के रूप से तैनात होने वाली आर्मी एयर डिफेंस कोर की पहली महिला अफसर बनकर पूरे देश का मान बढ़ा चुकी हैं. सुप्रीता ने पढ़ाई करते हुए एनसीसी एयर विंग ‘सी’ सर्टिफिकेट हासिल किया. अखिल भारतीय वायु सैनिक शिविर में कर्नाटक का प्रतिनिधित्व किया व वर्ष 2016 में गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया. वर्ष 2021 में सुप्रीता के सैन्य सपनों को उड़ान मिली, जब बतौर लेफ्टिनेंट उनकी तैनाती हुई.

9 मोहना सिंह जितरवाल : स्क्वाड्रन लीडर भारत की पहली महिला फाइटर पायलट

भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन लीडर मोहना सिंह (32) एलसीए तेजस उड़ाने वाली पहली महिला फाइटर हैं. 18 सितंबर को वह एलसीए तेजस को ऑपरेट करने वाली 18 फ्लाइंग बुलेट्स स्क्वाड्रन में शामिल हुईं. राजस्थान के झंझुनू की रहने वाली मोहना को पायलट बनने की प्रेरणा अपने से मिली. वर्ष 2016 में मोहना ने फाइटर स्क्वाड्रन में शामिल होकर अपना सपना पूरा किया. वर्ष 2020 में उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

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